दरअसल आज के समय में चाहे कोई युवा हों या बुजुर्ग सभी को हड्डियों से जुड़ी बीमारियों की समस्या होती है। शरीर की मांसपेशियों को सहारा देने और उनको एक्टिव बनाए रखने के लिए बोन हेल्थ का ठीक होना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। पर आपको बता दें की आज के समय में लोगों का देर रात तक काम करना और उन के भोजन में पौष्टिक चीजे शामिल न होने की वजह से युवाओं और बुजर्गों में हड्डियों से जुड़ी समस्यायों का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है। लोगों की डाइट में कैल्शियम, आयरन और अन्य मिनरल्स की कमी देखी जाती है। इसके साथ ही लोगों के शरीर में पर्याप्त समय धूप में न बैठने के कारण विटामिन डी की कमी पाई जाती है। आमतौर पर यह विटामिन और कैल्शियम के अवशोषण में सहायक होता है। हालांकि बीते कुछ सालों से लोगों में हड्डियों से जुड़ी समस्याओं की संख्या में तेजी से बढ़ावा हुआ है। दरअसल कमजोर हड्डियां फ्रैक्चर, ऑस्टियोपोरोसिस, व्यक्ति के जोड़ों में दर्द और चलने-फिरने में दीक्त जैसी कई गंभीर समस्यायों को पैदा कर सकती है। इस तरह की स्थिति में लोगों को समय रहते सतर्क होना बहुत जरूरी होता है। आइये इस लेख के माध्यम से डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से जानते हैं, की हड्डियों की जांच के लिए आखिर कौन से टेस्ट 5 करवाने की जरूरत होती है।
हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए प्रमुख 5 टेस्ट
1. डेक्सा स्कैन
आमतौर पर हड्डियों के घनत्व की जांच करने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। असल में डुअल-एनर्जी एक्स-रे एब्ज़ॉर्पटियोमेट्री (DEXA) एक तरिके की एक्स रे तकनीक है, जिससे यह पता चलता है, कि हड्डियों में कैल्शियम और अन्य मिनरल्स की क्या स्थिति है। बता दें कि यह टेस्ट ऑस्टियो पोरोसी और हड्डियों के पतले होने की पहचान करने के लिए किया जाता है। दरअसल यह टेस्ट 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं और 60 साल से ज्यादा उम्र के पुरुषों के लिए किया जाता है। डॉक्टर इस टेस्ट को करते वक्त एक व्यक्ति को अपनी पीठ के बल लेटा कर मशीन के माध्यम से हड्डियों को स्कैन किया जाता है।
2. सीरम कैल्शियम टेस्ट
दरअसल यह टेस्ट खून में मौजूद कैल्शियम की मात्रा को मापता है। दरअसल हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम बहुत ज्यादा जरूरी होता है। हड्डियों में कैल्शियम की मात्रा कम होने पर हड्डियों में दर्द होता है और यह हड्डियों को कमजोर और अंदर से खोखला बना सकती है। इस तरह के टेस्ट से हाइपो या हाइपरकैल्सीमिया की पहचान की जाती है और इसके साथ ही इससे यह पता चलता है, कि शरीर में हड्डियों की मजबूती बनाए रखने के लिए कैल्शियम पर्याप्त मात्रा है या नहीं।
3. विटामिन D टेस्ट
विटामिन डी शरीर की हड्डियों के लिए बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। डॉक्टर के अनुसार दुनिया भर में लगभग करीब अरब लोग विटामिन डी की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं। दरअसल शरीर में विटामिन डी के स्तर की जांच करने के लिए व्यक्ति के रक्त सैंपल को लेकर इसकी जांच की जाती है। विटामिन D की कमी से हड्डियों में दर्द और कमजोरी आती है। इसके कारण बच्चों में रिकेट्स और बड़ों में ऑस्टियोमलेशिया की परेशानी पैदा हो सकती है। हालांकि अगर किसी बच्चे या बुजुर्ग को हड्डियों में बार-बार फ्रैक्चर हो रहा हो या फिर हड्डियों में दर्द की शिकायत हो तो विटामिन D टेस्ट किया जाता है।
4. सीरम फॉस्फोरस टेस्ट
यह टेस्ट व्यक्ति के शरीर में फास्फोरस की मात्रा को मापता है, जो हड्डियों और दांतों के निर्माण में मददगार होता है। असल में यह कैल्शियम के साथ मिल के यह हड्डियों की मजबूती को बढ़ाने में मदद करता है। पर शरीर में जब इसकी कमी या फिर इसकी ज्यादा मात्रा होती है, तो इसकी वजह से हड्डियों में समस्या पैदा हो सकती है।
5. पीटीएच टेस्ट (पैराथाइरॉइड हार्मोन टेस्ट)
दरअसल यह टेस्ट पैराथायराइड ग्रंथि द्वारा पैदा हुए हार्मोन की जांच करता है, जो शरीर में आमतौर पर कैल्शियम और फास्फोरस के संतुलन को कंट्रोल करता है। अगर आपके शरीर में पीटीएच असामान्य है तो यह हड्डियों में से कैल्शियम को खींचकर खून में भेज सकता है। आपको बता दें कि यह हड्डियों को कमजोर करने का कारण बन सकता है।
हड्डियों में दर्द की समस्या से छुटकारा पाने के लिए इन चीजों का ध्यान रखें।
1. रोज 20 से 30 मिनट धूप में बैठे, जिससे हड्डियों का कमजोर होना कम होगा।
2. रोज हल्की कसरत और स्ट्रेचिंग करें।
3. ज्यादा देर तक एक ही पोजीशन में न बैठें।
4. आप रात को पूरी नींद लें और तनाव से दूर रहें।
5. डॉक्टर की सलाह के बिना सप्लीमेंट को न लें।
6. आप समय-समय पर अपने जरूरी टेस्ट को कराते रहें।
7. हरी सब्जियां, दूध, दही, छाछ, का सेवन करें।
8. अपनी डाइट में कैल्शियम और विटामिन सी भरपूर मात्रा में शामिल करें।
9. हर महिला और पुरुष को 50 की उम्र के बाद इन 5 टेस्ट्स को अवश्य कराना चाहिए
निष्कर्ष
आज के समय में सभी को हड्डियों में दर्द की समस्या हो रही है। दरअसल ये समस्या लोगों में बहुत आम होती जा रही है। आजकल के युवा और बुजुर्ग इस समस्या से जूझ रहे हैं। भोजन में पौष्टिक चीजें शामिल न होने और शरीर में विटामिन डी की कमी होने की वजह से ये समस्या होती है। 50 की उम्र के बाद महिला और पुरुष दोनों को हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए, डेक्सा स्कैन, विटामिन D टेस्ट, पीटीएच टेस्ट, सीरम फास्फोरस टेस्ट और सीरम कैल्शियम टेस्ट इन जरूरी टेस्टों को समय-समय पर करवाते रहना चाहिए इससे हड्डियों का स्वास्थ्य बना रहता है और हड्डियों में परेशानी का समय पर पता चल जाता है, जिससे आपके दर्द का इलाज करना आसान हो जाता है। इसके बाद सिर्फ डॉक्टर द्वारा बताए हुए सप्लीमेंट्स का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। अगर आपको भी हड्डियों में दर्द की समस्या बनी हुई है और आप इन टेस्टों को करवाना चाहते हैं, लेकिन पहले इन के बारे में जानकारी लेना चाहते हैं, तो आप आज ही कल्याण हॉस्पिटल में जाकर अपनी अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी ले सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1. हड्डियों की कमजोरी क्या केवल बुजुर्गों को होती है?
नहीं, यह समस्या युवाओं और बच्चों को भी हो सकती है, अगर उनका आहार और जीवनशैली सही न हो।
प्रश्न 2. क्या डेक्सा स्कैन में दर्द होता है?
नहीं, ऐसा नहीं है, यह एक बिल्कुल दर्द रहित और सुरक्षित टेस्ट है।
प्रश्न 3. हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्व कौन से हैं?
हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए, कैल्शियम, विटामिन D, फॉस्फोरस और प्रोटीन सबसे जरूरी पोषक तत्व होता हैं।