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हड्डी टूटने के क्या है प्रकार, लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के तरीके ?

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    हड्डी टूटने के क्या है प्रकार, लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के तरीके ?

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    हड्डी का टूटना यानि की व्यक्ति का आधे से ज्यादा शरीर तो वहीं पर ख़राब हो जाता है, क्युकी हड्डी तो शरीर के एक अंग की टूटती है लेकिन उसका असर सम्पूर्ण शरीर पर पड़ता है, इसलिए जरूरी है की अगर व्यक्ति में हड्डी टूटने जैसे कुछ भी लक्षण नज़र आए तो इससे बचाव के लिए आपको किन बातो का खास ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ;

    क्या है टूटी हुई हड्डी या फ्रैक्चर की समस्या ?

    • फ्रैक्चर से तात्पर्य एक निश्चित स्थान की हड्डियों के टूटने से है। वहीं टूटना आंशिक या पूर्ण भी हो सकता है। 
    • इसके अलावा फ्रैक्चर को दो श्रेणियों में बाटा गया है, जैसे ;
    • पहला है खुला फ्रैक्चर, बता दे की इस फ्रैक्चर में जब टूटी हुई हड्डी गहरे घाव के माध्यम से दिखाई देती है या टूटी हुई हड्डी त्वचा के आर-पार हो जाती है। तो इसे कंपाउंड फ्रैक्चर के नाम से भी जाना जाता है।
    • वहीं दूसरे फ्रैक्चर की बात करें तो वो है बंद फ्रैक्चर और यह तब होता है जब हड्डियां टूट जाती है और इसकी ऊपरी त्वचा बरकरार रहती है।

    अगर किसी कारण आपकी हड्डी टूट गई है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट ऑर्थो डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

    फ्रैक्चर या टूटी हुई हड्डी के प्रकार क्या है ?

    • फ्रैक्चर वैसे कई प्रकार के होते है, जिनमे से कुछ सबसे सामान्य प्रकार के फ्रैक्चर इस प्रकार है ;
    • कम्यूटेड फ्रैक्चर, के प्रकार में हड्डी कई टुकड़ों में टूट जाती है। 
    • ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर में हड्डी एक तरफ से टूट और दूसरी तरफ से मुड़ जाती है।
    • हेयरलाइन फ्रैक्चर या स्ट्रेस फ्रैक्चर, में बार-बार होने वाली गतिविधियों या मांसपेशियों के अत्यधिक उपयोग से आसपास की हड्डियों पर दबाव का पड़ना।
    • एवल्शन फ्रैक्चर, में जब एक हड्डी का टुकड़ा मुख्य द्रव्यमान से अलग हो जाता है।
    • स्पाइरल फ्रैक्चर में जब कोई हड्डी सर्पिल पैटर्न में टूटती है।
    • अनुप्रस्थ फ्रैक्चर।
    • तिरछा फ्रैक्चर।
    • लीनियर फ्रैक्चर।
    • विस्थापित फ्रैक्चर।
    • पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर, हड्डियों को कमजोर करने का कारण बनती है और ये फ्रैक्चर किसी गंभीर बीमारी के कारण होता है।
    • स्थिर फ्रैक्चर की समस्या का सामना करना।

    अगर टूटी हुई हड्डी का असर आपके रीढ़ की हड्डी पर भी पड़ा है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट स्पाइन सर्जन का चयन करना चाहिए।

    टूटी हुई हड्डी के लिए कौन-से कारण है जिम्मेदार ?

    • फ्रैक्चर तब होता है जब किसी हड्डी पर अत्यधिक बल पड़ता है जिसे हड्डी के द्वारा सहन किया जाता है। 
    • वहीं यह बल किसी दुर्घटना या गिरने से लगाया जा सकता है, जिससे प्रभावित क्षेत्र पर आघात हो सकता है। 
    • फ्रैक्चर हड्डी की कुछ चिकित्सीय स्थितियों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस या हड्डी के कैंसर का परिणाम हो सकते है। 
    • तो वहीं मुड़ने के कारण भी हड्डियाँ कमजोर हो जाती है। जिसका असर हमारे सेहत पर पड़ता है।

    टूटी हुई हड्डी के लक्षण क्या है ?

    • क्रेपिटस में (उपस्थित घायल घुटने के जोड़ का संकेत) नज़र आता है। 
    • असामान्य गतिशीलता भी इसी के लक्षणों में शामिल है। 
    • प्रभावित अंग की सूजन, व उसमे दर्द और विकृति की समस्या भी इसी के अंतर्गत आते है।

    इलाज क्या है टूटी हुई हड्डी का ? 

    • इसके इलाज को डॉक्टरों के द्वारा पहले दवाई के माध्यम से मरीज़ का इलाज किया जाता है, लेकिन जब दवाई का असर नहीं होता तो डॉक्टर को अन्य विकल्प का चयन करना पड़ता है। 
    • इसके बाद इसके इलाज में कास्ट या स्प्लिंट का चयन किया जाता है, क्युकी इससे प्रभावित क्षेत्र को स्थिर बनाने के लिए इसकी सिफारिश की जा सकती है। यह अत्यंत आवश्यक सहायता प्रदान करता है जिसकी फ्रैक्चर को आवश्यकता होती है, विशेष रूप से हल्की हलचल के दौरान, यह हड्डी को सटीक रूप से संरेखित रखने में भी सहायता करता है।
    • ट्रैक्शन, में आमतौर पर फ्रैक्चर के आसपास कुछ टेंडन और मांसपेशियों को खींचने के लिए वजन, स्ट्रिंग और पुली का उपयोग करना शामिल होता है। ये वज़न, पुली और तार, एक धातु के फ्रेम के साथ, बिस्तर पर या उसके ऊपर स्थापित किए जाते है। यह हड्डी को एक लाइन में करने में मदद करता है, और फिर धीरे-धीरे उपचार प्रक्रिया में शामिल किया जाता है।
    • इसके बाद सर्जरी है और इसकी सिफारिश तब की जा सकती है जब फ्रैक्चर की प्रकृति ऐसी हो कि हड्डियों के टुकड़ों को वापस उनके मूल स्थान पर एक साथ जोड़ना पड़े।

    अगर आप अपने टूटी हुई हड्डी का इलाज करवाना चाहती है, तो इसके इलाज के लिए आपको कल्याण हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

    टूटी हुई हड्डी से कैसे करें खुद का बचाव ?

    • टूटी हुई हड्डी के बचाव के लिए चोट वाली जगह को सहारा दें। 
    • खुले हुए फ्रैक्चर की पट्टी करें। 
    • हड्डियों को बार-बार चेक करते रहें। 
    • बर्फ की सिकाई का सहारा जरूर लें। 
    • टूटी हुई हड्डी को जितना हो सकें आराम दें। 

    निष्कर्ष :

    टूटी हड्डी अगर हो तो इसके लिए जरूरी है की आप समय रहते डॉक्टर के सम्पर्क में आए, और तो और किसी भी तरह के उपाय या इलाज का सहारा लेने से पहले उसका असर क्या होगा उसके बारे में जरूर जानकरी हासिल करें। 

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