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ऑस्टियोपोरोसिस को कंट्रोल करने के लिए दवाइयों के साथ-साथ फिजियोथेरेपी है ज़रूरी

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    ऑस्टियोपोरोसिस को कंट्रोल करने के लिए दवाइयों के साथ-साथ फिजियोथेरेपी है ज़रूरी

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    आज के समय में लोग हड्डियों से जुड़ी कई तरह की समस्या से जूझ रहे है, जो समय के साथ-साथ और गंभीर होने लग जाते है | कल्याण हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर राजिंदर सिंह ने यह बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस एक गंभीर बीमारी है, जिससे पीड़ित व्यक्ति की हड्डियां धीरे-धीरे कमज़ोर हो जाती है और कभी-कभार यह साधारण-सी हरकत से भी टूट भी सकती है | यह सभी वर्ग के महिलाओं और पुरुषों के लिए सामान्य स्थिति होती है |

    वृद्ध महिलाओं में इस दुर्लभ स्थिति होने की संभावना की सबसे अधिक होती है | जिसकी वजह से उनका ऑस्टियोपोरोटिक गंभीर रूप से फ्रैक्चर हो सकता है, जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है | इस स्थित के पीछे सबसे प्रमुख कारण उम्र और रजोनिवृति है | इसके अलावा इस स्थिति में योगदान देने वाले अन्य कारकों जैसे की परिवारक इतिहास, अनुवांशिक गतिहीन जीवन शैली, व्यायाम की कमी होना, धूम्रपान और शराब जैसे नशीली पदार्थों का सेवन करना और कैल्शियम और विटामिन डी की कमी होना शामिल है | लेकिन आपको बता दें ऑस्टियोपोरोसिस को कंट्रोल करने के लिए केवल दवाइयों का सेवन करना ज़रूरी नहीं होता, फिजियोथेरेपी करवाना भी बेहद ज़रूरी होता है | आइये जानते है फिजियोथेरेपी की क्या महत्वता है :- 

    ऑस्टियोपोरोसिस को कंट्रोल करने के लिए फिजियोथेरेपी करवाना क्यों है ज़रूरी ?    

    1. ऑस्टियोपोरोसिस को कंट्रोल करने के लिए फिजियोथेरेपी अपनी अहम भूमिका को निभाने का कार्य करती है | इसके साथ ही यह हड्डियों की ताकत को बढ़ाने में और शारीरिक संतुलन में सुधार लाने के लिए काफी मदद करती है | फ्रैक्चर के डर से हिलने-जुलने के बचने के बजाये यह मरीज़ की समग्र गतिशीलता को बढ़ा सकता है | व्यक्तिगत कार्यक्रम तैयार करने से पहले प्रत्येक फ़िज़ियोथेरेपिस्ट हर मरीज़ की शरीरिक स्थिति का आकलन करते है | 
    1. हड्डियों में नुकसान होने को रोकने के लिए और हड्डियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए ऑस्टियोपोरोसिस से  पीड़ित रोगिओं को अक्सर डॉक्टर फिजियोथेरेपी करवाने की सलाह देता है | यह रीढ़ की हड्डी को टूटने से रोकने के लिए, शारीरिक अंतुलन और गतिशीलता को बढ़ाने, गिरने पर होने वाले जोखिम कारक को करने के लिए, हड्डियों की मांसपेशियों को मज़बूत करने के लिए और दर्द को प्रबंधित करने के साथ-साथ यह उचित मुद्रा को बनाये रखने में भी मदद करता है और इसकी मदद से पीड़ित व्यक्ति आसानी से अपने दैनिक कार्य कर सकता है 
    1. एक फ़िज़ियोथेरेपिस्ट सबसे पहले मरीज़ की विशिष्ट आवश्यकताओं को समझता है और शरीरिक गतिविधि के अनुसार ही इलाज की प्रक्रिया को शुरू करता है | इसके साथ ही वह इस बात का सुनिक्षित करता है की मरीज़ का नियमित रूप से ही व्यायाम हो, क्योंकि उच्च प्रभाव वाली गतिविधि से हड्डियों पर प्रभाव पड़ सकता है और यह फ्रैक्चर होने का कारण बन सकती है | 

    ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित मरीज़ों को अपने दैनिक दिनाचार्य में अनुशंसित व्यायाम को शामिल करना चाहिए, जैसे की शक्ति प्रशिषण, धीरे-धीरे सीढिया चढ़ना, नृत्य करना, चलना-फिरना आदि | इसके अलावा शरीरिक स्थिरता और संतुलन बनाये रखने वाले व्यायाम पर सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए | इस बात का ध्यान ज़रूर रखें की यदि आप व्यायाम करने के लिए जिम जाते है तो फिटनेस ट्रेनर के निगरानी पर ही अपने व्यायाम को करें | गंभीर चोट से बचने के व्यायाम करने के दौरान उचित मुद्रा को बनाये रखें | 

    यदि आप भी ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से पीड़ित है और सटीकता से इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए आप कल्याण हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर राजिंदर सिंह ऑर्थोपेडिक्स में स्पेशलिस्ट है, जो पिछले 22 वर्षों से पीड़ित व्यक्तियों का स्थायी रूप से इलाज कर रहे है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही कल्याण हॉस्पिटल नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |  

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