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घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी के क्या है प्रकार व संपूर्ण प्रक्रिया !

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घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी के क्या है प्रकार व संपूर्ण प्रक्रिया !

घुटने की सर्जरी अक्सर उनके लिए फायदेमंद मानी जाती है, जिनको चलने फिरने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है और साथ ही ये सर्जरी किनके लिए फायदेमंद मानी जाती है ये काफी चर्चा का विषय है, इसके अलावा इस सर्जरी के क्या फायदे है और इसका चयन किन्हे करना चाहिए और साथ ही इस सर्जरी की प्रक्रिया क्या है इसके बारे में बात करेंगे ;

क्या है घुटना बदलने की सर्जरी ?

  • इस सर्जरी में व्यक्ति के घुटने को अच्छे से अनुभवी सर्जन के द्वारा बदला जाता है। 
  • सर्जरी के बाद व्यक्ति को चलने फिरने में किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। 
  • घुटना बदलने के ऑपरेशन में धातु और प्लास्टिक के हिस्सों का उपयोग घुटने के जोड़ के साथ-साथ घुटने के जोड़ को बनाने वाली हड्डियों के सिरों को ढकने के लिए किया जाता है। इस सर्जरी को उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो कि गंभीर गठिया या घुटने से जुड़ी किसी गंभीर चोट या अन्य समस्या से जूझ रहा होता है। 
  • घुटने में दर्द की समस्या से अगर आप परेशान है, तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में बेस्ट ऑर्थो डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी के प्रकार क्या है ?

 

  • घुटने के प्रतिस्थापन सर्जरी के तीन प्रकार है, वहीं इस सर्जरी का चयन रोगी की शारीरिक स्थिति को देखते हुए अपनाया जाता है, जिनमें से पहला है –
  • कुल घुटने को बदलने की सर्जरी। 
  • दूसरे में केवल घुटने के प्रभावित हिस्से की सर्जरी ही की जाती है। 
  • तीसरे में द्विपक्षीय यानी दोनों घुटनों को एक ही समय में बदल दिया जाता है।
  • पर ध्यान रहें इस सर्जरी का चयन आप उन्ही डॉक्टर से करवाए जिनको इस सर्जरी को करने का काफी सालों का अनुभव है।

 

घुटना बदलने की सर्जरी के दौरान क्या होता है ?

 

  • अधिकांश घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी सामान्य एनेस्थीसिया, पेरिफेरल नर्व ब्लॉक्स और स्पाइनल (एपिड्यूरल) एनेस्थीसिया को एक साथ लेकर की जाती है। घुटना बदलने का ऑपरेशन करने के बाद अक्सर संक्रमण होने की आशंका बनी रहती है, इसी कारण ऑपरेशन करवाने वाले रोगी को एंटीबायोटिक दवाएं भी दी जाती है। 
  • ऑपरेशन की प्रक्रिया के दौरान, सर्जन हड्डी और रोगग्रस्त हिस्सों को हटा देता है। सर्जन हड्डी और रोगग्रस्त हिस्सों को वहां से हटाना शुरू करता है, जहां से जांघ की हड्डी (फीमर) और पिंडली की हड्डी (टिबिया) घुटने के जोड़ पर मिलती है। 
  • इसके बाद उन सतहों को कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण से बदला जाता है। विशेषकर प्लास्टिक के एक टुकड़े का उपयोग आमतौर पर नाइकेप के पिछले हिस्से को बदलने के लिए किया जाता है और अंत में, इसी प्लास्टिक सामग्री को दो धातु भागों के बीच में रखा जाता है। यह आपके घुटने के जोड़ की दोनों हड्डियों को फिर से चिकनी सतह देता है ताकि रोगी फ्लेक्स और बहुत आराम से जितना मर्जी दर्द के बिना चल सके, झुक सके और भी घुटनों से बाकी क्रियाएँ कर सके। 
  • कृत्रिम अंग में आम तौर पर 3 घटक होते है, टिबिअल घटक, ऊरु घटक और पेटेलर घटक।
  • फिर ऑपरेशन के दौरान एक मूत्र कैथेटर डाला जा सकता है, ताकि रोगी को पेशाब के लिए बिस्तर से बार-बार उठना न पड़े और उसे ज्यादा दर्द न हो। सर्जरी के दौरान एनेस्थिसियोलॉजिस्ट लगातार आपके हृदय गति, रक्तचाप, श्वास और रक्त ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी भी जाती है। 
  • इस ऑपरेशन के बाद भी लंबे समय तक रोगी के रक्तचाप, श्वास और रक्त ऑक्सीजन के स्तर की लगातार निगरानी की जाती है और साथ ही घुटनों की भी निगरानी की जाती है और यह देखा जाता है कि कहीं रोगी को कोई संक्रमण तो नहीं हुआ है।

 

यदि आप घुटने की सर्जरी का चयन कर रहें है, तो आपके लिए ये जानना जरूरी है, की इसमें ऑर्थो डॉक्टर के साथ-साथ आपको लुधियाना में बेस्ट स्पाइन सर्जन का चयन भी करना चाहिए। 

सुझाव :

घुटने में लगें हल्के चोट को भी कृपया नज़रअन्दाज़ न करें, बल्कि इसके इलाज के लिए कल्याण हॉस्पिटल के सम्पर्क में आए। 

निष्कर्ष :

घुटने का दर्द असहनीय होता है और ये हमारे शरीर में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है इसलिए जरूरी है की इसमें किसी भी तरह की समस्या आए तो जल्द डॉक्टर के सम्पर्क में आए।

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